प्रिय किसान साथियो, बेमौसमी बरसात के बावजूद 12 सितम्बर को आयोजित ‘जैविक खेती जन संवाद’ में 300 व्यक्तियों ने भाग लिया. खेद का विषय यह रहा कि इस में किसान संगठनों की भागेदारी बहुत कम रही; केवल तीन. पहली बार कुदरती खेती अभियान के किसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय सरकारी कृषि संस्थानों ने औपचारिक रूप से अपने प्रतिनिधि भेजे हालाँकि हरियाणा के कृषि विभाग ने अब भी अपने प्रतिनिधि नहीं भेजे. दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब के भी कुछ किसान/संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
इस अवसर पर जारी किया गया प्रेस नोट एवं कुछ फोटो संलग्न है. इस से आप को इस कार्यक्रम बाबत बुनियादी मिल जायेगी. आने वाले दिनों में कार्यक्रम की वीडियो रिकार्डिंग भी उपलब्ध कराएँगे. बारिश के चलते कार्यक्रम हाल के अन्दर करना पड़ा, जिस से आवाज़ की गूँज की समस्या रही. इस के लिए जो लोग सही से सुन नहीं पाए, उन से क्षमा चाहते हैं.
उपरोक्त कार्यक्रम के बाद गुजरात के 17 सदस्यों के दल ने 2 दिन में हरियाणा के 6 जैविक किसानों के खेतों का दौरा किया. यह हमारे लिए गर्व का विषय था. अब से पहले हरियाणा के किसान अन्य राज्यों के जैविक किसानों के खेतों का दौरा कर के वहां से सीखते रहे हैं अब उन राज्यों से जैविक किसान हमारे खेतों को देखने आ रहे हैं.
जहाँ एक ओर यहाँ के खेत देख कर गुजरात के लम्बे अनुभव वाले जैविक किसानों ने भी कहा कि पैसा वसूल हो गया, वहीं एक खेत में लापरवाही होने पर क्या हो सकता है, यह भी देखने को मिला. बाज़ार से लिए लोबिया को बिना सही तरीके से उपचारित कर के बोने से वायरस हो गया और वायरस होने पर समय रहते उपयुक्त इलाज न करने से पूरे खेत में वायरस फ़ैल गया. अगर बाहर से लिए गए बीज को उपचारित किया गया होता (वायरस के खतरे वाले बीज में कच्चे दूध से उपचार विशेष रूप से प्रभावी रहता है) और वायरस के दिखते ही अगर प्रभावित पौधों को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाता एवं रसचूसक कीट नियंत्रण के उपाय किये जाते तो फसल को बचाया जा सकता था. जैविक किसान को सदैव सचेत रहना होगा.
क़ुदरती खेती पुस्तिका का नया संस्करण निम्न दो लिंकों पर उपलब्ध है. आशा है सभी जैविक किसान और जैविक खेती सीखने के इच्छुक किसान इसे अवश्य पढेंगे. इस पुस्तिका की छपी हुई प्रतियाँ (सहयोग राशी मात्र 20 रूपए) भी उपलब्ध हैं.
https://www.indiawaterportal.
https://archive.org/details/
इस अवसर पर जारी पर्चा जो कुदरती खेती की बुनियादी जानकारी देता हैं, संलग्न है.
महीने के पहले इतवार को सुबह 10 बजे से लगने वाला एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर जारी रहेगा. अक्टूबर का शिविर तो रोहतक के स्वामी नितानंद स्कूल में होगा. उस के बाद के प्रशिक्षण शिविर के स्थान की जानकारी के लिए इच्छुक किसान शिविर से हफ्ता-दस दिन पहल संपर्क कर सकते हैं.
एक अनुरोध. जो किसान साथी 12 तारिख के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, वो अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराने का कष्ट करें क्योंकि उस दिन बहुत कम किसानों से व्यक्तिगत संवाद हो पाया.
Former Professor, Department of Economics,M. D. University, Rohtak (Haryana) 124001 &
Residence:# 904, Lane opposite Vaish Public School, Sector 3, Rohtak 124001 (Haryana)